जी हां, यहां तैयार होगा 5 रुपये का सिक्का — कैसे तैयार होगा
पांच रुपये का सिक्का अब रेवाड़ी में भी तैयार होगा। हालांकि राष्ट्रीय चिह्न की सरकारी मुहर लगाने का काम पहले की तरह कोलकाता, हैदाराबाद व मुंबई की टकसालों में ही होगा, लेकिन सिक्के का सर्कल (गोलाकार आकृति) अब पीतल नगरी के नाम से सुविख्यात रेवाड़ी में बनाया जाएगा।
रेवाड़ी जिला देश का सबसे बड़ा मैटल शीट््स उत्पादक है। मंदी के बावजूद यहां की मैटल कंपनियों का वार्षिक टर्न ओवर डेढ़ हजार करोड़ के आसपास है। केंद्र सरकार की टकसाल अब तक यहां से केवल मैटल शीट््स की ही खरीद करती थी।
सिक्के का सर्कल तैयार करने का पहला आर्डर मिला है रेवाड़ी की गुप्ता मैटल शीट््स इंडस्ट्रीज को। गुप्ता मैटल के निदेशक राधेश्याम गुप्ता व रिपुदमन गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है। सेना के हथियारों के लिए भी रेवाड़ी जिले की कंपनियों से ब्रास व पीतल की प्लेटों व सर्कलों की आपूर्ति होती रही है।
सिक्के में क्या होता है धातु का अनुपात
पांच रुपये के सिक्के का साइज आमतौर पर बदलता रहा है। लेकिन सामान्यता इस समय जो सिक्का तैयार किया जा रहा है, उसमें 60 से 63 प्रतिशत कापर, 5 प्रतिशत निकल व शेष जिंक होती है। कापर व जिं से पीतल तैयार होता है।
5 रुपये में ही तैयार होता है 5 रुपये का सिक्का
जिस पांच रुपये के खनखनाते सिक्के का हम इस्तेमाल करते हैं, उसमें सरकार की कोई कमाई नहीं है। सूत्रों के अनुसार करीब 6 ग्राम वजन का सर्कल व टकसाल के खर्च जोड़कर सिक्के की उत्पादन लागत लगभग 5 रुपये ही आ रही है। हालांकि धातु के भावों में गिरावट व सिक्के के वजन का इस पर असर पड़ता रहा है। केंद्र सरकार समय-समय पर सिक्के का वजन कम करती रही है।