कला/संस्कृति/साहित्य

रामचरित मानस में विज्ञान है

रायपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में शनिवार को ‘रामचरित मानस में विज्ञान’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई, जिसका उद्घाटन उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डे ने किया।

उन्होंने कहा कि रामायण में विज्ञान है, यह तथ्यपरक जानकारी लोगों तक पहुंचाने का काम विद्धानों को करना चाहिए।

मंत्री ने कहा कि ‘रामचरित मानस’ पर बहुत तर्क-विर्तक होता है। तुलसी दास ने अपनी कल्पना से इस ग्रंथ की रचना की और राम के जीवन चरित का वर्णन किया। फिर हमारा देश आजाद हुआ, उस कालखंड में जो परिस्थितियां थीं और जो ज्ञान-विज्ञान की किताबें थीं, उसके अनुरूप हमारा दृष्टिकोण विकसित हुआ। लेकिन आज इंटरनेट के युग में ज्ञान का विस्तृत भंडार उपलब्ध है और तर्क-वितर्क के आधार पर हम तथ्यों की सही जानकारी हासिल कर सकते हैं। 

पाण्डे ने कहा, “हमारे ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि देवता भी इस देश में पैदा होने की कामना करते थे और इस बात का वैज्ञानिक आधार भी है। भारत में जीवन जीने के लिए जितनी आसान चीजें हैं, वह दुनिया में कहीं नहीं है। प्रकृति भी हमारा भरपूर साथ देती है। ज्ञान, विज्ञान, तकनीक इन सब में हमारा कोई जवाब नहीं है। प्राचीनकाल से विज्ञान में हम आगे रहे हैं। रामचरित मानस में अनेक प्रसंगों में इस बात की पुष्टि होती है।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति वंशगोपाल सिंह ने कहा कि हमारे ग्रंथ तथ्यों पर आधारित हैं। विज्ञान व ज्ञान के साथ आध्यात्मिकता इनमें समाहित है। 

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गौरीदत्त शर्मा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं आयोध्या शोध संस्थान से जुड़े योगेंद्र प्रताप सिंह, विज्ञान भारती (नई दिल्ली) से जुड़े एवं रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के सहायक प्राध्यपक संजय तिवारी ने भी अपने विचार रखे। प्रो. ओ.एन. तिवारी ने संगोष्ठी के उदेश्यों पर प्रकाश डाला। 

AGENCY

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button