भागवत ने आरक्षण समाप्त करने की वकालत नहीं की: आरएसएस
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सोमवार को स्पष्ट किया कि संस्था के प्रमुख मोहन भागवत ने शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण समाप्त करने की वकालत नहीं की है।
भागवत के बयान पर हो रही आलोचनाओं के बाद आरएसएस ने कहा है कि एक साक्षात्कार में आरएसएस प्रमुख की टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया गया।
आरएसएस के मुख्य प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने एक बयान में कहा, “भागवत जी ने आरक्षण पर टिप्पणी नहीं की है, जिसका लाभ समाज के कमजोर वर्ग को मिल रहा है।”
उन्होंने कहा, “इसके बदले उन्होंने कहा है कि हरेक व्यक्ति को इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए ताकि आरक्षण के लाभ समाज के सभी कमजोर वर्ग तक पहुंचे, जैसा कि संविधान निर्माताओं की परिकल्पना रही है।”
बयान में कहा गया है, “साक्षात्कार का विषय एकात्म मानववाद था, न कि आरक्षण।”
आरएसएस प्रमुख ने रविवार को आरक्षण नीति की समीक्षा की वकालत की और कहा कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए हो रहा है। उन्होंने इस बात का परीक्षण करने के लिए एक गैरराजनीतिक समिति गठित करने का भी सुझाव दिया कि आरक्षण की जरूरत किसे और कितनी अवधि के लिए है।
भागवत ने कहा था, “यदि हमने इस आरक्षण नीति पर राजनीति करने के बदले इसे संविधान निर्माताओं की परिकल्पना के अनुसार लागू किए होते, तो मौजूदा स्थिति नहीं पैदा हुई होती।”
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने सोमवार को आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चेतावनी दी कि वे शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण समाप्त कर के दिखाएं।
भाजपा ने भी स्पष्ट किया कि वह आरक्षण नीति की समीक्षा करने के पक्ष में नहीं है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां मीडिया से कहा, “भाजपा एसटी, एससी, ओबीसी को दिए जा रहे आरक्षण की किसी समीक्षा के पक्ष में नहीं है।”
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