सिनेमा

अरब डायरी- 3 : भगवान राम का रोल करना हर अभिनेता का सपना होता है- रणबीर कपूर

अजित राय, जेद्दा, सऊदी अरब से

भारतीय अभिनेता रणबीर कपूर ने कहा है कि भगवान राम का रोल करना हर अभिनेता का सपना होता है। रणबीर कपूर यहां सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित चौथे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा, “नितेश तिवारी की फिल्म ‘रामायण’ में भगवान राम का रोल करना मेरे लिए सपने पूरे होने जैसा है। एक अभिनेता होने के नाते मुझे इससे बड़ी खुशी नहीं मिल सकती। मुझे पता है कि भगवान राम का रोल करना आसान काम नहीं है। हालांकि इसमें जोखिम भी बहुत है, क्योंकि सिनेमा में मेरी इमेज कुछ दूसरी तरह की है। लेकिन मुझे जोखिम उठाना पसंद है। हमेशा सुरक्षित रहना एक तरह की ऊब (बोरियत) पैदा करता है। मैंने संदीप वांगा रेड्डी की ‘एनिमल’ में भी तो जोखिम उठाया है।”


यह पूछे जाने पर कि उनकी फिल्म ‘एनिमल’ समाज में क्या संदेश देती है और तब जबकि वे खुद पिता बन गए हैं, इस फिल्म से बच्चे क्या सीखेंगे? उन्होंने कहा, “यह बहुत जरूरी सवाल है। जब इस फिल्म के निर्देशक संदीप वांगा रेड्डी ने मुझे इसकी स्क्रिप्ट दी और मैंने जब पढ़ा, तो सचमुच में डर गया था। एक अभिनेता के रूप में इस स्क्रिप्ट में मेरे लिए बहुत जोखिम था, क्योंकि अब तक मेरी छवि एक रोमांटिक हीरो की थी, पर मैंने जोखिम उठाया। जब मैंने ‘एनिमल’ फिल्म देखी, तो खुद को देखकर आश्चर्य में पड़ गया। मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि इस फिल्म को हिंसा या दूसरे नजरिए से देखने की बजाय एक पिता और पुत्र की भावनात्मक कहानी के रूप में देखना चाहिए।”

रणबीर कपूर ने अपनी आनेवाली कुछ फिल्में के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि वे संजय लीला भंसाली की महत्वाकांक्षी फिल्म ‘लव एंड वार’ में भी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा, “संजय लीला भंसाली एक जीनियस डायरेक्टर हैं।  मैंने उन्हीं के साथ सहायक निर्देशक के रूप में अपना फिल्मी करियर शुरू किया था।” रणबीर कपूर ने कहा कि वे ‘एनिमल पार्ट 2’  भी कर रहे हैं, जो ‘एनिमल पार्क’ के नाम से बनाई जा रही है। अयान मुखर्जी की ‘ब्रह्मास्त्र’ के दूसरे भाग में भी वे काम कर रहे हैं।  उन्होंने कई बार अपनी उम्र का जिक्र किया और कहा कि उनके दादा राजकपूर केवल 24 साल में अभिनेता के साथ-साथ निर्देशक और निर्माता भी बन गए थे और वे 42 साल में भी वैसा नहीं बन पाए।  इस समय वे बड़े बजट की अपनी चार-पांच फिल्मों को पूरा करने में व्यस्त हैं।

उन्होंने अपने पिता ऋषि कपूर को याद करते हुए कहा, “वे हमेशा अपने कामों में व्यस्त रहते थे, पर एक बार मुझे उनके साथ चार महीने रहने का मौका मिला। हम एक ही कमरे में सोते थे। वे थोड़े गरम मिजाज (शार्ट टेंपर) के थे। मैं उन्हें असिस्ट कर रहा था। उस दौरान मैंने इतना कुछ सीखा, जितना न्यूयॉर्क के ली स्ट्रासबर्ग स्कूल की पढ़ाई के दौरान भी नहीं सीख सका था।”
रणबीर कपूर ने कहा कि वे बचपन में सोचते थे कि सेना में भर्ती हो जाएंगे या कराटे के कोच बनेंगे, पर नियति ने उन्हें अभिनेता बना दिया। रणबीर ने कहा, “कई बार नियति आपको खुद चुन लेती है। न्यूयॉर्क के ली स्ट्रासबर्ग स्कूल में दाखिला लेना पड़ा, हालांकि मुझे मेथड ऐक्टिंग बिलकुल पसंद नहीं है, लेकिन इससे एक फायदा हुआ कि मैं दुनिया भर के लोगों से मिला और तरह-तरह की संस्कृतियों को जानने का मौका मिला। वहां शॉर्ट फिल्म की, तो पांच सौ डॉलर मिले। वापस आकर संजय लीला भंसाली को ‘ब्लैक’ फिल्म में असिस्ट किया। मेरी असली शिक्षा इसी दौरान हुई।”

उन्होंने कहा कि वे एक सुविधा सम्पन्न परिवार से आते हैं, फिर भी सिनेमा में अच्छा करने के लिए बहुत मेहनत और तैयारी करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि अब वे बयालीस साल के हो गए हैं। उन्होंने पिछले तीस साल तक रोज किताबें पढ़ीं और दुनिया भर की फिल्में देखीं। विश्व सिनेमा में उनकी सबसे पसंदीदा फिल्म है  इटली के रोबेर्तो बेनिगनी की ‘लाइफ इज ब्यूटीफुल।’
उन्होंने कहा कि वे अपनी तरह से रोल चुनते हैं। उनके पिता ऋषि कपूर ने कभी भी उनपर कुछ भी नहीं थोपा और उन्हें अपने बारे में फैसले लेने की पूरी आजादी दी। उन्होंने कहा कि उनकी कुछ फिल्में कुछ कारणों से भले ही न चली हों, पर दर्शकों ने उन्हें भरपूर प्यार दिया। दर्शकों ने उनपर भरोसा बनाए रखा कि उनमें कुछ संभावना तो है कुछ अच्छा करने की। असफलताओं ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। दर्शकों का प्यार सबसे बड़ा पुरस्कार है। वैसे भी अच्छी फिल्म बनाने का कोई निश्चित फार्मूला नहीं है। उन्होंने कहा कि वे कभी भी जोखिम उठाने से परहेज़ नहीं करते। उनकी फिल्म ‘राकेट सिंह’ का एक संवाद है कि स्पाइडर मैन को भी जोखिम उठाना पड़ता है।

इम्तियाज अली की फिल्म ‘रॉक स्टार’ में अपनी भूमिका पर उन्होंने कहा कि वह फिल्म एक लाइफटाइम अनुभव रही है। इसके गीत इरशाद कामिल ने लिखे थे और इम्तियाज अली का विजन था। फिल्म बनने के दौरान संगीतकार ए.आर. रहमान के साथ चेन्नई में बिताए तीन चार महीने उनके जीवन के अविस्मरणीय दिन थे। एक गीत दरगाह में फिल्माया गया था। वहां बिताए तीन दिन आध्यात्मिक थे। वह जादुई अनुभव था।

अनुराग बसु की फिल्म ‘बर्फी’ पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि जब यह फिल्म लिखी गई थी, तो बड़ी गंभीर और इंटेंसिव थी। बाद में कई इंप्रोवाइजेशन जुड़े। उन्होंने स्वीकार किया कि इस रोल में चार्ली चैप्लिन और राजकपूर की छायाएं है। रणबीर ने कहा, “जब दो साल बाद मैंने फिल्म देखी, तो खुद दंग रह गया।”

उन्होंने कहा कि जब ‘संजू’ में उन्हें संजय दत्त का रोल निभाने को कहा गया, तो उनके लिए यह बड़ी घटना थी। उन्होंने कहा, “एक तो इसके निर्देशक राजकुमार हिरानी बॉलीवुड के सबसे बड़े निर्देशक हैं और दूसरे संजय दत्त मेरे पसंदीदा अभिनेता रहे हैं। मेरे कमरे में एकमात्र पोस्टर यदि किसी का है, तो वह संजय दत्त का है। इस रोल की चुनौती यह थी कि वे अभी जीवित हैं और सक्रिय हैं। लोग उनकी कहानी से कुछ सीख सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि जब यह फिल्म मेरे पास आई, तो मेरी कई फिल्में फ्लॉप हो चुकी थीं, मसलन ‘बेशरम’, ‘जग्गा जासूस’, ‘बॉम्बे वेलवेट’, ‘तमाशा’ आदि।  इस फिल्म से मुझे बहुत राहत मिली।”

उन्होंने ‘तमाशा’ के बारे में पूछे जाने पर कहा, “इम्तियाज अली ने कहा कि मुझे साधारण इंसान के रुप में अभिनय करना है, हीरो रणबीर कपूर के रूप में नहीं। इस फिल्म में नहीं भूलना चाहिए कि दीपिका पादुकोण थीं, जो मुझसे बड़ी अभिनेत्री हैं।”
यह पूछे जाने पर कि वे फिल्मों का चुनाव कैसे करते हैं, उन्होंने कहा कि यह अपनी अंतरात्मा की आवाज पर होता है। इसका कोई फार्मूला नहीं है। हर फिल्म अलग तैयारी की मांग करती है। सबसे बड़ी बात कि आपको लोगों से संपर्क बनाए रखना चाहिए और फीडबैक लेते रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान या सलमान खान की तरह सुपरस्टार बनकर अभिनय नहीं करते, किरदार बनकर अभिनय करते हैं। आजकल अभिनय बहुत कठिन काम हो गया है। कई-कई महीने तैयारी करनी पड़ती है। यह पूछे जाने पर कि उनकी सबसे पसंदीदा फिल्म कौन सी है, तो उन्होंने कहा ‘वेक अप सिड’।

(अजित राय कला, साहित्य, रंगकर्म लेखन के क्षेत्र में सुपरिचित नाम हैं और “सारा जहां” के लिए नियमित रूप से लिखते हैं)

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