आईजीएनसीए और डॉ. सोनल मानसिंह ने किया स्वच्छता दूतों का सम्मान
राजीव रंजन
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि स्वच्छता जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण आयामों में से एक है। यही कारण है कि माननीय प्रधानमंत्री के जन्मदिन 17 सितंबर से “सेवा पखवाड़ा” मनाया जाता है। हमारे परिवेश को स्वच्छ बनाए रखने में स्वच्छता दूतों का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण है। समाज में स्वच्छता दूतों के योगदान के प्रति आभार प्रदर्शित करने हेतु इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, संस्कृति मंत्रालय और राज्यसभा की सांसद व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ट्रस्टी पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने “सेवा पखवाड़ा” के अंतर्गत स्वच्छता दूतों के सम्मान का कार्यक्रम “स्वच्छता सृष्टि से अमृत वृष्टि” का आयोजन किया।
कला केंद्र के प्रेक्षागृह “समवेत” में आयोजित इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भारत की पूर्व प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद एवं प्रसिद्ध समाजसेविका मल्लिका नड्ढा थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कला केंद्र के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय ने की। इस अवसर पर डॉ. सोनल मानसिंह और कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी की गरिमामय उपस्थिति भी रही।
कार्यक्रम में दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगर निगम और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के स्वच्छता दूतों का सम्मान माननीय अतिथि श्रीमती सविता कोविंद और श्रीमती मल्लिका नड्डा ने किया। कार्यक्रम के दौरान कला केंद्र के स्वच्छता दूतों- राधा, मीनाक्षी, सरीना, इंदु, बबीता, सीमा, सूरज, मनोज, अजय और छतर पाल ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसमें लोकगीत, लोकनृत्य और समूह गान शामिल थे। इस अवसर पर सूरज, अजय और बबीता ने स्वरचित कविताएं भी सुनाईं। कार्यक्रम स्थल पर सूरज के चित्रों और इंदु, सीमा, बबिता द्वारा के हस्तशिल्प की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय आगंतुकों को मिला।
स्वच्छता को भारतीय संस्कृति में हमेशा से बहुत महत्त्व दिया गया है। वेदों में पंच तत्त्वों की स्वच्छता की बात कही गई है। महात्मा गांधी ने किसी भी चीज से ज्यादा स्वच्छता को महत्त्व दिया था। गांधी जी ने कहा था, “राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी स्वच्छता है।” इसी बात को स्मरण करते हुए डॉ. सोनल मानसिंह ने एक कविता सुनाई- “भारत के कोने कोने को उजला सुथरा साफ करें/ हो दूर मलिनता धरती की, कण कण में मधुर सुगंध भरें/ बस्ती बस्ती फिर खिल जाए, नगरी नगरी हंस मुस्काए/ जो देखे स्वच्छ धरा अपनी, तो अंबर भी अमृत बरसाए।”
इस अवसर पर कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा, “कौन सोच सकता था कि जो प्रधानमंत्री पूरी शानो शौकत के साथ अपना जन्मदिन मना सकते थे, वो अपना जन्मदिन सेवा दिवस के रूप में मनाते हैं और स्वच्छता दूतों के सम्मान से स्वयं सम्मानित होने का, गौरवान्वित होने का संकल्प करते हैं। हम आज सचमुच भाग्यशाली हैं कि हम आज उस दौर में हैं, जहां नरेन्द्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री देश को प्राप्त हुए हैं। आज स्वच्छता दूतों का सम्मान करके हम सब भी सम्मानित हुए हैं, गौरवान्वित हुए हैं।” मुख्य अतिथि देश की पूर्व प्रथम महिला सविता कोविंद जी की ओर से उनकी पुत्री स्वाति कोविंद ने कहा, “सेवा हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत है। प्राचीन काल से ही भारत के ऋषि-मुनियों ने सेवा धर्म को सबसे महत्त्वपूर्ण माना है। हमारे शास्त्रों में भी ‘सेवा परमो धर्मः’ अर्थात सेवा परम धर्म है, ऐसा उल्लेख है।”
इस अवसर पर दूसरी मुख्य अतिथि डॉ. मल्लिका नड्डा ने कहा कि ये जो कार्यक्रम है, उसमें स्वच्छता दूतों की प्रतिभा का सम्मान करने का प्रयास किया गया है। हम सबमें कुछ न कुछ प्रतिभा है, इसको हम जानें, समझे और इनको अवसर दें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला केंद्र के अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का एक सपना है कि कैसे हम सफाई करने वाले लोगों को भी सम्मानित करें और उनकी सुरक्षा का भी प्रबंध करें। जब हम किसी को सम्मानित करते हैं, तो उसमें दोनों बातें हैं। हम उनके श्रम का सम्मान कर रहे हैं और उनके भविष्य की सुरक्षा का भी एक आश्वासन उसमें छिपा है।”
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कला केंद्र के मीडिया नियंत्रक अनुराग पुनेठा ने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा, “यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है। स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी आदत बन जाए।”