बिहार: छेरा नदी को कैसे पार करते है लोग
छेरा नदी पार करने के लिये अंगरा गांव के पास बांस का चाचर बनाया जाता है। चाचर बनाने के लिये लोगों को अंगरा, अकराही टोला, राम लाल टोला, डिलियां टोला, तेलियाडीह, गति के डेरा और मिश्रवलिया गांव में लोगों के बीच बैठक करनी होती है।
बैठक में चाचर का लागत खर्च आकलन किया जाता है और गांव वालों की ईच्छा शक्ति और आर्थिक समपन्नता के आधार पर चंदा की राशि तय की जाती है।
गेहूं कटने के बाद खुद ही लोग गांव के सामाजिक और चाचर निर्माण कमेटी के सदस्य को चंदा सौंप देते है।
चंदा की राशि से बांस और पोल की खरीदारी की जाती है। मई महिने में पुराने चाचर को हटाकर बरसात से पहले से नया चाचर तैयार कर लिया जाता है।
चाचर बनाने में कुल पन्द्रह दिनों का समय लगता है। जिसमें गांव वाले श्रमदान भी करते है।
चाचर से होकर ही नदी पार करने का सपना पूरा होता है। सर्कस के खिलाड़ी की तरह मोटरसाईकिल पर सवार होकर भी लोग चाचर पार कर लेते है।
Vijay Kumar