आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा के मुख्य बिंदु
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मंगलवार को की गई मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं : – तरलता समायोजन सुविधा के तहत बैंकों को दिए जाने वाले लघु अवधि कर्ज की दर (रेपो दर) को 50 आधार अंकों की कटौती कर
तत्काल प्रभाव से 7.25 फीसदी से 6.75 फीसदी किया गया।
– नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) चार फीसदी बरकरार।
– भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजारों में न्यूनतम पांच साल की परिपक्व ता अवधि के साथ रुपये मूल्य वाले बांड जारी करने की अनुमति। कॉरपोरेट बांड में अधिकतम 51 अरब डॉलर विदेशी निवेश की सीमा हालांकि बनी रहेगी।
– विदेश में बांड जारी कर जुटाया गया कोष एक छोटी नकारात्मक सूची से बाहर किसी भी कार्य में खर्च किया जा सकेगा।
– महंगाई दर में सितंबर से कुछ महीने के लिए वृद्धि की उम्मीद।
– बुआई वाले क्षेत्र में वृद्धि के परिणामस्वरूप यदि उत्पादन भी अधिक रहता है, तो खाद्य महंगाई दर घट सकती है।
– विदेशी वाणिज्य ऋण (ईसीबी) के संशोधित नियम जल्द ही होंगे जारी, जो मौजूदा नियमों की जगह लेंगे।
– रेपो बाजार का विकास करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की सलाह-मशविरा से कॉरपोरेट बांड में इलेक्ट्रॉनिक कारोबार प्लेटफार्म की रूपरेखा बनाई जाएगी।
– स्टैंड-अलोन प्राथमिक डीलरों को मुद्रा वायदा बाजार में प्रवेश की अनुमति।
– यूरो-डॉलर, पाउंड-डॉलर और डॉलर-येन में एक्सचेंज ट्रेडेड मुद्रा वायदा एवं विकल्प कारोबार की अनुमति।
– देश में कारोबार करने वाले संस्थानों के लिए विदेशी मुद्रा जोखिमों की हेजिंग की सीमा को ढाई लाख डॉलर से बढ़ाकर 10 लाख डॉलर किया गया। इसके लिए कोई दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं, हालांकि इसकी सामान्य घोषणा जरूरी।
– कार्ड स्वीकार करने वाली अवसंरचना बढ़ाने तथा कम-से-कम नकदी वाले समाज की दिशा में बढ़ने के लिए रिजर्व बैंक एक अवधारणा पत्र जारी करेगा।
– देश की अर्थव्यवस्था की सुस्ती से बाहर निकलने की प्रक्रिया जारी।
– 2015-16 की प्रथम छमाही में विदेशी पूंजी भंडार 10.4 अरब डॉलर बढ़ा।
– बांड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) की सीमा आगे से रुपये मूल्य में घोषित/तय की जाएगी।
– केंद्र सरकार द्वारा जारी बांडों में एफपीआई सीमा चरणबद्ध तरीके से बढ़ेगी।
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