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हिंसा की छिटपुट घटनाओं के सामान्यीकरण से देश की छवि खराब होगी: वेंकैया

हैदराबाद: केन्द्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि सहिष्णुता भारतीयों के खून में आनुवंशिक रूप से घुला हुआ है और बुद्धिजीवी वर्ग को ऐसी छिटपुट घटनाओं का सामान्यीकरण करने से बचना चाहिए, जो देश की छवि खराब कर सकते हैं।

कुछ लेखकों और मीडिया पर चुटकी लेते हुए, शहरी विकास मंत्री ने कहा कि बुद्धिजीवी कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा करते हुए देश की छवि को भी ध्यान में रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, कुछ लोग देश में हुई :हिंसा की: कुछ छिटपुट घटनाओं का सामान्यीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं। वे उसे बड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। वे दिखाना चाहते हैं कि देश में सहिष्णुता का स्तर घटा है। यह देश का अपमान कराएगा। हम घटनाओं की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन देश की नहीं।

राज्यसभा की पूर्व सदस्य वाई लक्ष्मी प्रसाद की पुस्तक नयका त्रयम का विमोचन करते हुए नायडू ने कहा, हम आजकल देश में नयी चलन देख रहे हैं। वे कहते हैं कि देश में सहिष्णुता घट रही है। दुनिया में भारत ही एकमात्र देश है जहां सहिष्णुता है, यदि 100 प्रतिशत नहीं तो कम से कम 99 प्रतिशत तो है ही।

उन्होंने कहा, यदि आप इतिहास में जाएं, भारत पर कई विदेशी हमलावरों ने हमला किया, लेकिन एक भी ऐसी घटना नहीं है जहां भारत ने किसी देश पर हमला किया हो। भारतीयों की प्रवृति भी वैसी नहीं है। हम सभी धर्मो का सम्मान करते हैं। यह भारत की महानता है। सहिष्णुता भारतीय के खून में आनुवंशिक रूप से बहता है।

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