शक्तिहीन’ सुरक्षा परिषद पर बरसा भारत
संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को निष्प्रभावी और शक्तिहीन बताते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में जवाबदेही और पारदर्शिता नहीं होने की वजह से शांति सैनिकों की मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है।
शांति अभियानों पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के सोमवार के सत्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने ये बातें कही।
उन्होंने कहा, “हमें यह देख कर निराशा होती है कि सुरक्षा परिषद किस अस्पष्ट तरीके से, बिना किसी जवाबदेही और पारदर्शिता के शांति अभियानों के बारे में आदेश जारी कर रही है।”
मुखर्जी ने कहा, “इस नाकामी की इंसानी कीमत शांति सैनिकों की लगातार बढ़ती मौतों की शक्ल में साफ दिख रही है। इसी वजह से उन नागरिकों की संख्या में चिंताजनक रूप से वृद्धि हो रही है, जिनकी जिंदगियां संघर्षो की भेंट चढ़ गई हैं। खुद संयुक्त राष्ट्र महासचिव का कहना है कि ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर छह करोड़ हो गई है। इन तमाम लोगों की जिंदगियां इसलिए प्रभावित हो रही हैं, क्योंकि निष्प्रभावी सुरक्षा परिषद संघर्षो को हल करने में शक्तिहीन साबित हुई है।”
इस साल सितंबर तक दुनिया भर में 85 शांति सैनिक मारे जा चुके हैं।
मुखर्जी ने महासभा के अध्यक्ष मोगेन्स लाइक्केतोफ्त से अपील की कि “वह महासभा के इस 70वें सत्र में सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए समझौता कराने के लिए पहल करें।”
मुखर्जी ने भारत की पहले की ही इस मांग को फिर दोहराया कि शांति अभियानों पर मुहर लगाने से पहले सुरक्षा परिषद को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उन प्रावधानों पर शब्दश: अमल करना चाहिए जो कहते हैं कि ऐसी मुहर लगाने से पहले उन देशों से मशविरा किया जाए जिनके सैनिक अभियान में लगाए जाने हैं।
अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने भी इस मांग का समर्थन किया कि सुरक्षा परिषद और सैनिक देने वाले देशों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए।
महासभा के इस सत्र का केंद्रबिंदु ‘हाई लेवल इंडिपेंडेंट पैनल ऑन पीस ऑपरेशन्स (एचआईपीपीओ)’ की सिफारिशों पर अमल के लिए तैयार की गई महासचिव बान की रपट थी। जोस रामोस-होर्ता की अध्यक्षता वाले इस पैनल में भारत के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अभिजीत गुहा भी शामिल थे।
मुखर्जी ने कहा कि बान की यह रपट भारत के लिए काफी मायने रखती है।
संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भारत ने सर्वाधिक सैनिक दिए हैं। भारत के 7,794 जवान संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले शांति अभियानों में हिस्सा ले रहे हैं।
बीते महीने शांति अभियानों पर हुए शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत अभियानों में सैनिकों की भागीदारी को 10 फीसदी और बढ़ाएगा।
पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि ने भी सैनिक देने वाले देशों से अधिक सलाह मशविरे के प्रस्ताव का स्वागत किया। कई अन्य देशों की तरह उन्होंने भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान में शांति सैनिकों की तैनाती का विरोध किया।
अरुल लुईस