33 साल बाद दिखा ब्लड मून का नजारा
रविवार को दुनिया ने करीब 33 साल बाद ब्लड मून का नजारा देखा। रविवार को कुछ लोगों ने इस सीन को अपने मोबाइल कैमरे में भी कैद किया।
आपको बता दें कि इससे पहले साल 1982 में दुनिया ने इस तरह का नजारा देखा था।
वहीं वैज्ञानिकों का दावा है अगली बार ऐसा ही नजारा साल 2033 में देखने को मिल सकता है।
इस अंतरिक्ष घटना को लेकर कई लोगों ने दुनिया खत्म होने का दावा किया था, लेकिन यह निराधार साबित हुआ।
जानिए ब्लड मून से दुनिया के खात्मे को लेकर क्या दलीलें दी गईं थी और इस पर नासा ने क्या कहा था।
ईसाई समुदाय की दलील:
ब्लड मून थ्योरी की इस परिकल्पना के पीछे का तर्क बाइबल के जोएल 2:31 में दिया गया है; “और मैं आकाश में और पृथ्वी में चमत्कार दिखाऊंगा, खून और आग एवं धुंए के स्तंभ..सूर्य अंधकारमय हो जाएगा और चांद में लालिमा छा जाएगी, प्रभु के आने से पहले का यह एक महान और भयावह दिन होगा।” इसके मुताबिक बड़ा भूकंप आएगा, सूर्य काला हो जाएगा जैसे कि बालों का टाट, चंद्रमा में लालिमा (खून जैसी) छा जाएगी।
क्या कहा नासा ने:
नासा का कहना है कि किसी भी छोटे ग्रह या उल्का के सैकड़ों वर्षों तक पृथ्वी से टकराने की संभावना नहीं है और न ही ऐसा कोई कण पृथ्वी से टकराने की प्रक्रिया से गुजर रहा है..इसलिए किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है।
क्या है ब्लड मून:
नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि 28 सितंबर को पृथ्वी की छाया से चंद्रमा के गुजरने के दौरान चंद्रग्रहण पड़ेगा। इस खगोलीय घटना को ब्लड मून कहा जाता है…क्योंकि ग्रहण के दौरान चंद्रमा पर लालिमा देखी जाती है।
SaraJhan news Desk