प्रसिद्ध हिंदी कवि वीरेन डंगवाल का निधन
बरेली: हिंदी के प्रसिद्ध कवि और वरिष्ठ पत्रकार वीरेन डंगवाल का सोमवार सुबह बरेली में निधन हो गया। वह 68 साल के थे। साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित कवि इधर कुछ दिनों से बीमार थे। डंगवाल के निधन से हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर है।
पांच अगस्त 1947 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में जन्मे डंगवाल का बरेली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। सोमवार तड़के करीब चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
हिंदी दैनिक ‘अमर उजाला’ के संपादक रहे वीरेन डंगवाल को वर्ष 2004 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
उनका पहला कविता संग्रह 43 साल की उम्र में ‘इसी दुनिया में’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ। इस पर उन्हें रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार तथा श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार मिला था।
वर्ष 2002 में उनका दूसरा कविता संग्रह ‘दुष्चक्र में सृष्टा’ प्रकाशित हुआ, जिस पर 2004 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
बरेली कालेज में हिंदी के प्राध्यापक रहे डंगवाल ने कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कार्य भी किया। उन्होंने पाब्लो नेरूदा, बर्तोल्त ब्रेख्त और नाजिम हिकमत जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं का अनुवाद किया है।
डंगवाल की कुछ कविताएं इतनी चर्चित हुईं कि पोस्टर के रूप में काफी उपयोग किया गया। उनके परिवार में पत्नी रीता डंगवाल, बेटे प्रफुल्ल और प्रशांत हैं।
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