Make in India: मिले 3 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव
भारत सरकार को ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत 3.05 लाख करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव हासिल हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग के लिए सरकार को 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के इन्वेस्टमेंट के प्रपोजल मिल चुके हैं। इससे इकोनॉमी को रफ्तार मिलने के संकेत मिलने लगे हैं।
एक्सपोर्ट के लिए मॉडर्न इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रही है सरकार
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारामण ने इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) के डायमंड जुबली कार्यक्रम के दौरान एक्सपोर्टर्स को भरोसा दिलाया कि सरकार विदेशी मार्केट्स को शिपमेंट को बढ़ावा देने और इकनॉमिक ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए प्राथमिकता के आधार पर एक मॉडर्न इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत ऊंची जीडीपी रेट और मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ में सुधार के साथ रिकवरी की राह पर है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मेक इन इंडिया के अंतर्गत 3.05 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव मिल चुके हैं, जो इकोनॉमी को मिली रफ्तार के संकेत हैं।
इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर के लिए मिले 1 लाख करोड़ के प्रस्ताव
सरकार को इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग के लिए 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के इन्वेस्टमेंट के प्रपोजल मिल चुके हैं। प्रसाद ने कहा, ‘हम बीते 14 महीनों से इलेक्ट्रॉनिक क्लस्टर को बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं। हमें अभी तक 1.07 लाख करोड़ रुपए के इन्वेस्टमेंट के प्रस्ताव मिल चुके हैं, जिन्हें हम एमएसआईपीएस के अंतर्गत कई इंसेंटिव देने जा रहे हैं।’
एमएसआईपीएस के तहत सब्सिडी देती है सरकार
मॉडिफाइड स्पेशल इंसेंटिव पैकेज स्कीम (एमएसआईपीएस) पूंजी खर्च में किए गए इन्वेस्टमेंट पर सब्सिडी उपलब्ध कराती है, जो स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स (एसईजेड) में इन्वेस्टमेंट पर 20 फीसदी और नॉन-एसईजेड के लिए 25 फीसदी है। यह नॉन-एसईजेड यूनिट्स को कैपिटल इक्विपमेंट के लिए काउंटरवेलिंग ड्यूटी या एक्साइज पर प्रतिपूर्ति भी उपलब्ध कराती है।
इसके अलावा सरकार इलेक्ट्रॉनिक चिप मैन्युफैक्चरिंग के लिए रिसर्च पर होने वाले खर्च पर 200 फीसदी की कटौती की अनुमति दे रही है। प्रसाद ने कहा, ‘आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के 7 संस्थानों की स्थापना की जाएगी, जिससे हम बेहतर ह्यूमन रिसोर्स हासिल कर सकेंगे।’