अदालत से पूछकर वीरभद्र व उनकी पत्नी की गिरफ्तारी
शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी को आय से अधिक संपत्ति मामले में बड़ी राहत प्रदान की है। न्यायालय ने गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो से कहा कि दोनों की गिरफ्तारी से पहले उसे न्यायालय की अनुमति लेनी होगी।
न्यायालय ने कहा, “अगर सीबीआई को उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत होगी, तो पहले वह न्यायालय को सूचित करेगी।”
वीरभद्र ने अपने खिलाफ प्राथमिकी को खारिज करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी, जिस पर न्यायाधीश राजीव शर्मा तथा न्यायाधीश सुरेश्वर सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि सीबीआई मामले की जांच जारी रखेगी।
मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।
न्यायालय में वीरभद्र सिंह की तरफ से पेश हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने सीबीआई की प्राथमिकी को रद्द करने व उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की।
सीबीआई ने मुख्यमंत्री के दिल्ली सहित 13 परिसरों पर छापेमारी के बाद उनके खिलाफ 23 सितंबर को एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिस पर राहत के लिए वीरभद्र ने बुधवार को उच्च न्यायालय का रुख किया था।
अपनी याचिका में वीरभद्र ने कहा कि उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ जांच आयकर के दायरे में है और आयकर विभाग मामले की पहले से ही जांच कर रहा है और मामला उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।
उन्होंने कहा कि वह एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं और ऐसे में उनके खिलाफ आपराधिक मामला दायर करने से पहले सीबीआई को उपयुक्त अधिकारियों से मंजूरी लेनी चाहिए थी।
वीरभद्र ने दलील दी कि मामले में उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच और प्राथमिकी में कानूनी खामियां हैं और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा छह के खिलाफ है और इसीलिए इसे रद्द कर देना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने शिमला में वीरभद्र सिंह के निजी आवास जाखू हिल्स के हॉली लॉज में 26 सितंबर को छापेमारी की थी। उस वक्त मुख्यमंत्री व उनका परिवार उनकी बेटी की शादी में व्यस्त था।
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