इन कदमों से मार्केट क्रैश में सुरक्षित रखें निवेश, गिरावट का ऐसे उठाएं फायदा
अगस्त के बाद सितंबर की शुरुआत भी इंडियन मार्केट्स के लिए बेहद खराब हुई है। सितंबर के पहले चार दिन में सेंसेक्स 1075 अंक लुढ़क गया है। वहीं पांच अगस्त से अब तक सेंसेक्स 10 फीसदी से ज्यादा गिर गया है। गिरावट के इस दौर में इन्वेस्टर सेंटीमेंट पर निगेटिव असर पड़ा है। ऐसे में हर इन्वेस्टर के मन में सिर्फ एक ही सवाल है कि यह गिरावट कब थमेगी और ऐसे हालात में अपने इन्वेस्टमेंट को कैसे सुरक्षित करें। इस पर मार्केट एक्सपर्ट बताते हैं कि इंडिया से बुल मार्केट अभी खत्म नहीं हुआ है। इसीलिए जिन इन्वेस्टर्स ने ऊपरी स्तरों पर स्टॉक्स खरीद रखे हैं, उन्हें निचले स्तर पर खरीददारी करके अपने स्टॉक्स की एवरेज करनी चाहिए। साथ ही हर गिरावट पर अच्छे स्टॉक्स को पोर्टफोलियो में शामिल करना चहिए।
इंडियन मार्केट्स में गिरावट ये हैं कारण
ट्रेड स्विफ्ट ब्रोकिंग के सीईओ संदीप जैन का कहना है कि निगेटिव और पॉजिटिव दोनों तरह की खबरों का असर मार्केट पर देखा जा रहा है। खराब खबरों में मॉनसून की चाल धीमी है और क्रूड फिर से उछाल दिखा रहा है। खराब खबरों से मार्केट गिरता है और पॉजिटिव खबरों से थोड़ा संभल रहा है। बिहार की सकारात्मक खबर से मार्केट चला था। ईसीबी की खबर पॉजिटिव है और डीआईआई की तरफ से खरीददारी आने से बाजार को सहारा मिला है। मार्केट में शॉर्टकवरिंग आने से कुछ तेजी लौटी थी और अभी 3-4 दिन चीन-हांगकांग के मार्केट बंद हैं जो थोड़ी राहत की खबर है। अभी भी मार्केट में निचले स्तरों पर खरीददारी करने की सलाह नहीं है और अगर खरीददारी करनी ही है तो मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में खास सतर्कता के साथ खरीदारी करने की सलाह होगी।
ये उठा सकते हैं कदम
1.मायस्टॉकरिसर्च हेड लोकेश उप्पल के मुताबिक अगर इन्वेस्टर्स के पास ऊपरी स्तरों पर स्टॉक्स खरीदें हुए हैं, तो मौजूदा समय में निचले स्तरों पर खरीददारी करें और एवरेज कर सकते हैं। हालांकि ब्लूचिप और अच्छे फंडामेंटल वाले स्टॉक्स में ही यह रणनीति अपनानी चाहिए।
2.बोनांजा पोर्टफोलियो के एवीपी पुनीत किनरा के अनुसार इन्वेस्टर्स इस समय अपने पोर्टफोलियो में चर्निंग कर सकते है। इसका मतलब यह है कि इन्वेस्टर्स अगले 6 महीने के लिए डिफेंसिव यानी फार्मा स्टॉक्स पर दांव लगाना चाहिए।
3.कोटक वेल्थ मैनेजमेंट के हेड राजेश अय्यर कहते हैं कि ग्लोबल लेवल पर की गई केस स्टडीज से पता चलता है कि पोर्टफोलियो के परफॉर्मेंस का 90 फीसदी दारोमदार एसेट एलोकेशन पर टिका होता है। इसका मतलब साफ है कि इन्वेस्टर्स को अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी के साथ-साथ डेट इंस्ट्रूमेंट्स को भी शामिल करना चाहिए।
4.म्युचुअल फंड्स में एसआईपी भी गिरावट में अच्छे निवेश का विकल्प होता है, क्योंकि गिरावट में यूनिट सस्ते हो जाते हैं और कम पैसों में ज्यादा यूनिट मिलते हैं। इसीलिए एसआईपी के जरिए बेहतर रिटर्न हासिल किए जा सकते हैं।
5.स्टॉक मार्केट में भी हर बड़ी गिरावट पर कुल फंड का पांच फीसदी इनवेस्टमेंट किया जा सकता है। इससे अच्छे वैल्युएशन हासिल होंगे। और तेजी आने पर बड़े रिटर्न मिल पाएंगे