योग महोत्सव: यादें संजोकर विदेशियों ने ली विदाई
हरिद्वार: भारत और भारतीय संस्कृति के आदर्शो को यादों में संजोकर 15 देशों के योग प्रशिक्षु एवं संस्कृति के संवाहकों ने यहां आयोजित पांचवें अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन के बाद मंगलवार को विदाई ली।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में संपन्न हुए महोत्सव में 400 से अधिक विदेशी आगंतुकों ने प्रतिभागिता की। इस दौरान भारतीय संस्कृति, संस्कारों और परंपराओं को लेकर इन्होंने देसंविवि के दिव्यता भरे वातावरण में छह दिन रहकर विवि के विभिन्न क्रियाकलापों से रूबरू हुए। साथ ही योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यज्ञथेरेपी, पंचकर्म चिकित्सा के साथ साथ गंगा की निर्मल धारा बीच बैठकर ध्यान का लुत्फ उठाया।
कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने विदाई ले रहे विदेशी मेहमानों को पुन: आने का निमंत्रण दिया और कहा कि यह विश्वविद्यालय आपका घर है। यहां के आत्मीयता भरे वातावरण में आकर सांस्कृतिक आदान-प्रदान द्वारा मानवता की प्रगति में योगदान करें।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए कुलाधिपति ने योग महोत्सव की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अन्य संस्कृति व्यक्ति को भौतिक जगत में ऊंचा उठाती है, लेकिन अपने भीतर झांकने की आत्मसाधना और आत्मिक शांति पाने का अवसर भारतीय संस्कृति ही प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि योग से स्वस्थ रहा जा सकता है और स्वस्थ मन से किए गए प्रत्येक कार्य सही ढंग से संपन्न होता है।
प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय ने कहा, “महोत्सव के दौरान आप लोगों को अपने अंदर झांकने का जो मौका मिला, उसे सदैव याद रखें। यहां के वातावरण में एक अलग तरह की सकारात्मकता है, जो साधक को अपनी ओर खींचता है।”
यूरोप की बारबरा ने भावविभोर होकर कहा, “मैं अपने देश पहुंचकर यहां के योग, संस्कृति एवं अध्यात्म को जन-जन तक पहुंचाने की शपथ लेती हूं।”
इटली के बेन्सेंत ने कहा, “मुझे देवसंस्कृति विश्वविद्यालय एक परिवार के रूप में मिला।”
छह दिन तक चले इस महोत्सव में आध्यात्मिक सत्र और वैज्ञानिक सत्र में कई देशों से आए विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें प्रमुख रूप से पद्मश्री डी.आर. कार्तिकेयन, योग धर्म समुदाय इटली के प्रमुख भाई हरीसिंह खालसा, इंडोनशिया के रस आचार्य दर्मयासा, लाटविया के डिप्टी एम्बेस्डर एविस क्लाविन्स्किस, प्रो. मार्ट लेनमेट्स, यूरोपियन आयुर्वेद एशोसिएशन की अध्यक्ष प्रो. हर्षा, सेंडी स्टडी भक्तिवेदांत के अध्यक्ष प्रो. मार्को फेरिनी, लाटविया के प्रो वल्दिस पिराग्स, नार्वे के जॉन फ्रैंग मोस्ताद आदि प्रमुख हैं।
इससे पहले, योग महोत्सव के अंतिम सत्र की शुरुआत छात्राओं द्वारा प्रस्तुत ‘बहुत है आसान, अपना योग महान’ गीत से हुई। विश्वविद्यालय स्टाफ ने योग के विभिन्न आसनों से उपस्थित जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया तो विद्यार्थियों ने कठिनतम आसनों को श्रंखलाबद्ध रूप से प्रस्तुत किया।
बीसीए के छात्रों ने पंजाब के प्रसिद्ध भांगडा नृत्य से सभी के मन को उल्लसित कर दिया। वहीं विदेशियों ने प्र™ोश्वर महादेव मंदिर में ध्यान साधना कर योग एवं अध्यात्म के सूत्रों को समझा।
समापन अवसर पर विभिन्न देशों से आए प्रतिभागियों के अलावा कुलपति शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या, कुलसचिव संदीप कुमार सहित समस्त विश्वविद्यालय परिवार उपस्थित था।
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