कला/संस्कृति/साहित्य

मुगल बादशाह बाबर पर ऐतिहासिक कथा का विमोचन

नयी दिल्ली: मुगल पिताओं और पुत्रों पर आधारित तीन किताबों की शृंखला में से पहली रचना ‘‘बाबर : दि कंकरर ऑफ हिन्दुस्तान’’ का यहां विमोचन किया गया जिसकी लेखिका रोयिना ग्रेवाल हैं।

ग्रेवाल की इस रचना में जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर के पानीपत के पहले युद्ध से लेकर उनके जीवन और शासन की चर्चा की गयी है कि कैसे बाबर ने कई असफलताओं के बाद अंतत: हिन्दुस्तान में मुगल वंश की नींव रखी।

वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कल शाम यहां विमोचन के मौके पर मालविका सिंह के साथ चर्चा में कहा कि भारत के बारे में हमारी धारणा मूल रूप से मुगलों द्वारा दिए गए निर्माण का अहसास है जो भोजन, वास्तुकला और संस्कृति के रूप में अब भी मौजूद हैं।

खुर्शीद ने कहा कि ताजमहल या लाल किला या कोई अन्य आकषर्क इमारतें जिन्हें हम अपनी धरोहर का हिस्सा मानते हैं या भारत की अपनी धारणा है, यह हमें याद दिलाती हैं कि मुगलों ने क्या किया था, किस प्रकार सड़कें बनायी गयी थीं, अकबर के शासनकाल में किस प्रकार राजस्व व्यवस्था तैयार की गयी थी। साथ ही यह भी बताती हंैं कि किस प्रकार वह अब तक अस्तित्व में है।

उन्होंने कहा कि मूलरूप से यह मुगलों द्वारा दिया गया निर्माण है जो अब तक टिका हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे सामने मुगल वास्तुकला नहीं होती तो हमारी वास्तुकला क्या होती, अगर मुगल खाना नहीं होता तो हमारा भोजन क्या होता। उन्होंने इस क्रम में सैन्य रणनीति, मंत्री पद की संरचना आदि का भी जिक्र किया।

लेखिका ने महान योद्धा होने के अलावा बाबर के चरित्र के अन्य पहलुओं पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है। वह एक ऐसे शासक की कहानी कहती हैं जो एक कवि, लेखक, प्रेमी, कला प्रेमी भी है।

उन्होंने कहा कि योद्धा बाबर के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। लेकिन वह सोचती हैं कि कोई योद्धा ऐसे सुंदर बाग नहीं बना सकता था। बाबर एक पिता, एक पति और सबसे महत्वपूर्ण एक मानव भी था।

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