ऑनलाइन ई-सिगरेट विक्रेता इस तरह फांसते हैं ग्राहकों को
न्यूयार्क: नेशनल यूथ टोबैको सर्वे के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक मध्य एवं उच्च विद्यालयों के छात्रों में 2013 और 2014 के बीच ई-सिगरेट का उपयोग तीन गुना बढ़ा है। अब एक नए अध्ययन से पता चलता है कि ई-सिगरेट विक्रेता द्वारा आक्रामक ऑनलाइन विपणन पद्धति अपनाए जाने के कारण इसके उपयोग में यह वृद्धि दर्ज की गई है।
सैन डियागो स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा किए गए इस ताजा सर्वेक्षण में पता चला है कि विक्रेता ऐसी तरकीबों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे सभी उम्र वर्ग के ग्राहकों के लिए ई-सिगरेट खरीदना आसान हो जाता है।
सर्वेक्षण के मुख्य लेखक टिम के मैकी ने कहा, “हमने पाया कि ई-सिगरेट विक्रेता ऑनलाइन तरीके से ‘वैपिंग’ को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसके तहत वे 52 फीसदी किशोर-किशोरियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले इंस्टाग्राम पर तस्वीर भी प्रस्तुत करते हैं।”
उन्होंने कहा, “47 प्रांतों में अल्पवयस्कों को ई-सिगरेट बेचना मना है, लेकिन हमारे शोध से ई-सिगरेट की बिक्री के लिहाज से इंटरनेट की क्षमता सामने आई।”
ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाला एक उपकरण होता है, जिसमें तंबाकू नहीं होता है। इस उपकरण से उपयोगकर्ता बबल गम और अन्य फ्लेवर वाला कश मुंह में लेकर धुआं छोड़ते हैं। इस उपकरण का उपयोग करने वालों को स्थानीय स्तर पर वेपर कहा जाता है।
छोड़े जाने वाले धुएं में कई प्रकार के वाष्पशील पदार्थ, भारी धातु तथा बारीक कण होते हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कुछ विक्रेताओं ने अपने प्रचार में स्वास्थ्य जोखिमों का जिक्र किया था, लेकिन वे इस तरह से प्रदर्शित किए गए थे कि स्पष्ट दिखाई नहीं पड़ते थे।
एक-तिहाई विक्रेता वाजिब उम्र की पुष्टि करने वाली प्रक्रिया सही प्रकार से नहीं अपनाते थे।
मैकी के मुताबिक, “ऑनलाइन विक्रेता कई उन्नत और आक्रामक नीति अपनाते हैं, जिसमें प्रमोशनल ऑफर भी होते हैं और उत्पादों की बिक्री के लिए वे सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करते हैं।”
शोध निष्कर्ष शोध पत्रिका ड्रग एंड अल्कोहल डिपेंडेंस में प्रकाशित हुआ है।
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