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स्टैंडअप कॉमेडी ने बदला कॉमेडी का मिजाज

नई दिल्ली: ‘किसी को रुलाना जितना आसान है, हंसाना उतना ही मुश्किल’। यह कहना है स्टैंडअप कॉमेडियन एवं अभिनेता साइरस साहूकार का। साइरस कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में देश में कॉमेडी की शैली एवं विधा में खासा बदलाव आया है। स्टैंडअप कॉमेडी ने तो कॉमेडी के पूरे स्वरूप को ही बदल दिया है।

समय के साथ लोगों की बदल रही सोच ने स्टैंडअप कॉमेडी को लोकप्रिय बनाने में मदद की है। 

आज हंसी के इन ठहाकों ने फुलटाइम कारोबार का रूप ले लिया है। पहले कभी-कभार कॉमेडी करने वाले या बमुश्किल किसी कार्यक्रम में अपने इस हुनर को पेश करने वाले लोगों के लिए यह फुलटाइम पेशा बना गया है। इसमें कोई शक नहीं है कि इस पेशे में आज पैसे की भी कोई कमी नहीं है। 

स्टैंडअप कॉमेडियन कनन गिल ने आईएएनएस से कहा कि जहां टैलेंट हैं, वहां पैसा है। लोगों को हंसकर अपने दिनभर की थकान उतारना पसंद है। पिछले कुछ सालों में जितनी तेजी से इस क्षेत्र में बदलाव हुआ है, शायद ही किसी अन्य क्षेत्र में हुआ हो। वैश्वीकरण और पाश्चात्य प्रभाव की वजह से कॉमेडी में द्विअर्थी संवादों को शामिल किया जाना लोगों के बदलते नजरिए को दर्शाता है।

स्टैंडअप कॉमेडी को दुनियाभर में मशहूर करने का श्रेय ब्रिटेन के कॉमेडियन रसेल ब्रांड को जाता है। रसेल ब्रांड की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, कॉमेडी हमें जिंदगी जीने की कला सिखाती है। हालांकि, स्टैंडअप कॉमेडी जितनी आसान दिखाई पड़ती है, उतनी है नहीं। स्टैंडअप कलाकारों को दर्शकों को हंसाने में खासी मेहनत करनी पड़ती है। 

स्टैंडअप शो के लिए अपनी तैयारियों के बारे में स्टैंडअप सौरभ कांत आईएएनएस से कहते हैं, “यह उतना आसान नहीं है, जितना लगता है कि बस स्टेज पर आए दो-चार चुटकुले, किस्से सुनाए, टेढ़ी-मेढ़ी शक्लें बनाई और चल दिए। स्टैंड अप कॉमेडी में आपको हर दिन अपने आपको अप-टू-डेट रखना पड़ता है। देश-दुनिया में होने वाली हर तरह की घटनाओं पर नजर रखनी पड़ती है। हर समस्या और स्थिति में कॉमेडी ढूढ़नी पड़ती है।”

स्टैंडअप कॉमेडियन और अभिनेता साइरस साहूकार ने आईएएनएस से कहा, “हर व्यवसाय की तरह इसमें भी कलाकारों की लोकप्रियता पर मेहनताना निर्भर करता है। इस क्षेत्र में भी पैसा अच्छा है, लेकिन यह आपकी काबिलियत पर निर्भर है। मसलन, कपिल शर्मा को दी जाने वाली धनराशि और एक साधारण स्टैंडअप कॉमेडियन को दी जाने वाली धनराशि में जमीन-आसमान का अंतर है।” 

स्टैंडअप कॉमेडी की शुरुआत 18वीं सदी में ब्रिटेन में हुई थी। ब्रिटेन से यह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुआ। भारत में इसकी शुरुआत बहुत देर में हुई। साल 1986 में हास्य अभिनेता जॉनी लीवर ने पहली बार भारत में ‘होप 86’ नाम से एक चैरिटी शो में पूरे हिदी फिल्म उद्योग जगत के सामने स्टैंडअप कॉमेडी की थी। 

इसके बाद राजू श्रीवास्तव ने स्टैंडअप कॉमेडी में अपना एक अलग मुकाम बनाया। लेकिन कपिल शर्मा के शो ‘कॉमेडी नाइट विद कपिल’ ने देश में इस विधा को एक नई पहचान दिलाई। यकीनन, इससे इस क्षेत्र में करियर बनाने वालों को हौसला मिला है।

रीतू तोमर

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