सरकार ने आलोचना के बाद एन्क्रिप्शन नीति का मसौदा वापस लिया
नयी दिल्ली: सरकार ने जनता के कड़े विरोध के बाद एनक्रिप्शन नीति का विवादास्पद मसौदा वापस ले लिया जिसमें सोशल मीडिया समेत सभी तरह के संदेशों को 90 दिन तक सुरक्षित रखने को अनिवार्य किया गया था।
दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा नया मसौदा जारी किया जायेगा। पिछले मसौदे की जिन बातों से संदेह पैदा हुआ है उन्हें ठीक कर फिर से आम जनता के समक्ष रखा जायेगा।
एन्क्रिप्शन नीति का मसौदा कल जारी किया गया जिसमें व्यावसायिक इकाइयों, दूरसंचार परिचालकों और इंटरनेट कंपनियों को लिखित संदेश को उसी रूप में 90 दिन तक सुरक्षित रखने का प्रावधान किया गया और कानून-व्यवस्था से जुड़ी एजेंसियों जब भी इन्हें दिखाने को कहेंगी उन्हें यह मुहैया कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई होती।
एन्क्रिप्शन नीति के इस मसौदे से निजता पर हमले की आशंका को लेकर उपजे विवाद को देखते हुये सरकार ने आज सुबह एक नए परिशिष्ट के जरिए साफ किया कि व्हाट्सऐप, फेसबुक तथा ट्विटर, भुगतान गेटवे, ई-वाणिज्य और पासवर्ड आधारित लेन-देन को इससे अलग रखा गया है।
इसके कुछ ही घंटे बाद सरकार ने एन्क्रिप्शन नीति मसौदा वापस लेने का फैसला किया।
मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसलांे के बारे जानकारी देने के लिये आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रसाद ने कहा कि कल शाम जारी राष्ट्रीय एन्क्रिप्शन नीति का मसौदा वापस ले लिया गया है। यह मसौदा सरकार की अंतिम राय नहीं है और इसे जनता से टिप्पणी और सुझाव के लिए सार्वजनिक किया गया था।
उन्होंने कहा ‘‘मैं बिल्कुल साफ करना चाहता हूं कि यह सिर्फ मसौदा है न कि सरकार की राय। लेकिन मैंने कुछ प्रबुद्ध वर्गों द्वारा जाहिर चिंता पर गौर किया। मैंने व्यक्तिगत तौर पर देखा कि मसौदे की कुछ बातों से बेवजह संदेह पैदा हो रहा है।’’
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